महावीर जैन
सिरोही। सिरोही-कांडला राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पावापुरी तीर्थ मैत्री धाम में गत चौबीस सालों में चौेरासी लाख श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दी। सभी ने इस पवित्रधाम को सराहा। यहां स्वच्छ भारत की असली तस्वीर देखने को मिलती है। तीर्थधाम के साथ विशाल गौशाला है। यह गोशाला देश की वीआईपी गोशालाओं में से एक है। इस गोशाला में पांच हजार छह सौ पशु है,लेकिन मात्र पचानवे पशु ही दुधारु है।
इस तीर्थधाम के मुख्य मंदिर की प्रतिष्ठा एक नहीं 17 आचार्य भगवंतों की निश्रा में हुई। देश में पहली बार ऐसा हुआ कि एक ही मंच पर 17 आचार्य एक साथ एकत्रित हुए और प्रतिष्ठा करवाई। मालगांव निवासी के पी संघवी परिवार ने मंदिर व गौशाला का निर्माण स्वयं के पैसों से करवाया। इसका रखरखाव भी पिछले 24 सालों से के पी संघवी परिवार के सदस्य बाहर रहते हुए भी डे टू डे मॉनिटरिंग करते चले आ रहे हैं। यहां स्थित गोशाला को 26 जनवरी 2015 को आदर्श गौशाला के गौरव से राज्य सरकार ने सम्मानित भी किया है। के पी संघवी परिवार के मुखिया थे बाबूलाल संघवी जिनको प्रेम से सब लोग बाबू काका के नाम से पुकारते थे। इस परिवार का हीरे का व्यवसाय हैं। सन 1965 से डायमंड उद्योग में के पी संघवी का नाम सुविख्यात है और वे डीटीसी होल्डर है। संघवी परिवार ने अपनी जन्मभूमि मालगांव से जुड़ाव के लिए सबसे पहले सिरोही को चुना। मालगांव को भी उन्होंने आदर्श गांव बनाया और वहां पर सभी आधारभूत सुविधाओं का निर्माण करवाया। रेवदर उपखंड कार्यालय पर 5 करोड की लागत से मॉडल डिग्री कॉलेज मातुश्री शांताबा हजारीमल के पी संघवी राजकीय महाविद्यालय रेवदर का निर्माण करवा कर 31 अगस्त 2020 को सरकार को सुपुर्द किया। पिछले 70 वर्षो से उपेक्षित एवं पिछडे क्षेत्र रेवदर में उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी जो अब पूरी हो गई है। सिरोही जिला मुख्यालय पर विधि महाविद्यालय का स्वतंत्र भवन नहीं होने उसकी मान्यता बार कॉन्सिल ऑफ इण्डिया की ओर से समाप्त होने वाली थी इसको देखते हुए के पी संघवी परिवार ने पहल करते हुए के पी संघवी चेरीटेबल ट्रस्ट के माध्यम से जिला मुख्यालय पर 7 करोड़ की लागत से ‘मां अम्बे के पी संघवी राजकीय विधि महाविद्यालय’ भवन बनाकर सरकार को सुर्पुद किया। यह कॉलेज नए भवन में शिफ्ट होते ही डिग्री कॉलेज से एलएलएम कॉलेज में कमोन्नत हो गया। इस कॉलेज में वर्तमान में 350 से अधिक विधार्थी विधि शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
के पी संघवी चेरीटेबल ट्रस्ट पावापुरी चिकित्सा, शिक्षा, पर्यावरण एवं जीवदया के अलावा हर आपदा मे प्रभावित लोगो की मदद के लिए हमेशा आगे आता रहा है और कोराना आपदा में भी ट्रस्ट ने स्वेच्छा से कुल 1 करोड 46 लाख 42 हजार 500 रुपए का उल्लेखनीय योगदान किया है। ट्रस्ट के चेयरमेन संघवी किशोर भाई ने पी एम केयर्स में एक करोड़ 8 लाख का योगदान कर सिरोही जिले को गौरान्वित किया। जिला अस्पताल सिरोही मे पावापुरी ट्रस्ट ने 5 लाख 51 हजार लागत का एक वेंटीलेटर भी कोराना काल में जनहितार्थ भेंट किया। इसी तरह रोहिडा आदिवासी क्षेत्र मे जरूरतमंदों को तैयार भोजन उपलब्ध करवाने के लिए रोहिडा सेवा समिति को 1 लाख 31 हजार रुपए भिजवाए। इसके अलावा अपने स्तर पर हजारों मास्क तैयार करवा कर जरूरतमंदों को वितरित करवाए थे।
पावापुरी गौशाला का नाम मालगांव मे विराजित सुमतिनाथ भगवान के नाम पर ‘‘सुमती जीव रक्षा केन्द्र’’ रखा है जिसमे कुल 195 शेड हैं इस गौशाला में एक डॉक्टर व 6 कम्पांडर हैं व आपरेशन थियेटर भी हैं। गौशाला संचालन मे प्रतिदिन लगभग 3 लाख का खर्चा होता है। जिसके लिए के पी संघवी परिवार 3 से 4 करोड रुपए का योगदान अपनी ओर से प्रतिवर्ष अर्पण करता है। पावापुरी मे घास का स्टॉक रखने के लिए 5000 टन की क्षमता कें गोदाम है। इन गोदामों के उपर सोलर की प्लेटे लगाकर 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। जोधपुर संभाग मे यह पहली गोशाला है जिसमे 5000 टन घास का स्टाक रखा जाता है और इतनी बडी तादाद मे सोलर उर्जा प्राप्त की जाती है।
18 आवास के लिए 120 कमरे व 8 बडे हाल है। इनकी बुकिंग देशभर के लोग आनलाईन करवा सकते है। यहां पर प्रवेश, भोजन एवं आवास मे जाति-धर्म का कोई बंधन नहीं हैं। अब यहां अधिकतम दो दिन रहने का अवसर दिया जा रहा हैं। गौशाला की विश्वसनियता का आंकलन इस बात से होता है कि चेन्नई की एक सुश्राविका श्रीमती सुगनी बाई किशनलाल बरमेचा ने पावापुरी गौशाला का भ्रमण करने के बाद पेढी मे पहुंच कर वहा पर एक करोड़ का चैक गौशाला के लिए जीवदया कोष में दिया।
इस तीर्थ का संचालन संघवी हंजारीमल एवं बाबू काका के बाद अब संघवी किशोर भाई हंजारीमलजी बाफना कर रहे हैं। संघवी परिवार एक अनुकरणीय संयुक्त परिवार हैं जिसके कुल 13 सदस्य तीर्थ व गौशाला के संस्थापक ट्रस्टी है उनमे पुरा काम विभागवार बंटा हुआ है ओर हर ट्रस्टी अपने विभाग के कार्यो की देखरेख व निर्णय करता है। इन सभी संस्थापक ट्रस्टियों को वर्ष मे ट्रस्ट के संचालन मे कम से कम 5 बार पावापुरी की विजिट करना अनिवार्य हैं। 5 विजिट नहीं होने पर उनको 5-5 लाख पेनल्टी के रूप मे गोशाला में जमा कराने होते हैं। लेकिन अभी तक सभी संस्थापक ट्रस्टी लगातार आने से किसी तरह की पेनल्टी का अवसर नही आया हैं। इस तीर्थ मे जो राशि देवद्रव्य (भंडार या चढावे) मे प्राप्त होती है। उसका उपयोग यहां पर नही करके अन्य मंदिरो के जीर्णोद्वार मे उपयोग के लिए दिया जाता है।
पावापुरी परिसर के पीछे राज्य सरकार ने खेतो मे रहने वाले किसानो के बच्चो को शिक्षा से जोडऩे के लिए प्राथमिक विद्यालय खोला है। इस विधालय को जिले का ‘‘मॉडल प्राथमिक विद्यालय’’ बनाने के लिए के पी संघवी परिवार विशेष लगाव के साथ जुड़ा है ओर वो सब सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है जो नीजि विधालयो मे उपलब्ध होती हैं। यहां पर पोष्टिक मिड-डे-मिल, झूलेे, खेल खिलौने, बाग बगीचे, शौचालय, अंग्रेजी शिक्षण की विशेष व्यवस्था, ड्रेस, स्वेटर, जूते, छतरी, पीने के पानी की बोतल, आर ओ पानी इत्यादि उपलब्ध करवाया जा रहा हैं। यह जिले का पहला सरकारी विधालय होगा जहां पर हर बच्चे का ‘जन्म दिन’ मनाया जाता हैं ओर सबको मिठाई खिलाई जाती हैं। के पी संघवी परिवार की हार्दिक इच्छा है कि उनकी मातृ भूमि ’’ मालगांव ’’ में भी एक अत्याधुनिक हायर सैकण्डरी स्कूल भवन बनाकर सरकार को सुर्पुद किया जाए। इसके लिए सरकार ने 10 बीघा भूमि आंवटित कर दी हैं और भवन का प्रस्ताव स्वीकृति के लिए सरकार में प्रक्रियाधीन हैं। पावापुरी तीर्थ-जीव मैत्रीधाम की ओर से सामाजिक सरोकार के तहत अनेक प्रकार की सहायता समय समय पर की जाती है। अभी हाल ही मे मालगांव सैकेंडरी में कम्पयूटर भेंट किए गए एवं गुलाबगंज हायर सैकण्डरी स्कुल मे एक सभा भवन बनाने मे साढे चार लाख रुपए का योगदान दिया। पशु ुचिकित्सालय कृष्णगंज व पुलिस चौकी कृष्णगंज व पुलिस थाना अनादरा में भी कम्प्यूटर, प्रिण्टर्स एवं अन्य सामग्री उपलब्ध करवाई गई।
सिरोही। सिरोही-कांडला राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पावापुरी तीर्थ मैत्री धाम में गत चौबीस सालों में चौेरासी लाख श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दी। सभी ने इस पवित्रधाम को सराहा। यहां स्वच्छ भारत की असली तस्वीर देखने को मिलती है। तीर्थधाम के साथ विशाल गौशाला है। यह गोशाला देश की वीआईपी गोशालाओं में से एक है। इस गोशाला में पांच हजार छह सौ पशु है,लेकिन मात्र पचानवे पशु ही दुधारु है।
इस तीर्थधाम के मुख्य मंदिर की प्रतिष्ठा एक नहीं 17 आचार्य भगवंतों की निश्रा में हुई। देश में पहली बार ऐसा हुआ कि एक ही मंच पर 17 आचार्य एक साथ एकत्रित हुए और प्रतिष्ठा करवाई। मालगांव निवासी के पी संघवी परिवार ने मंदिर व गौशाला का निर्माण स्वयं के पैसों से करवाया। इसका रखरखाव भी पिछले 24 सालों से के पी संघवी परिवार के सदस्य बाहर रहते हुए भी डे टू डे मॉनिटरिंग करते चले आ रहे हैं। यहां स्थित गोशाला को 26 जनवरी 2015 को आदर्श गौशाला के गौरव से राज्य सरकार ने सम्मानित भी किया है। के पी संघवी परिवार के मुखिया थे बाबूलाल संघवी जिनको प्रेम से सब लोग बाबू काका के नाम से पुकारते थे। इस परिवार का हीरे का व्यवसाय हैं। सन 1965 से डायमंड उद्योग में के पी संघवी का नाम सुविख्यात है और वे डीटीसी होल्डर है। संघवी परिवार ने अपनी जन्मभूमि मालगांव से जुड़ाव के लिए सबसे पहले सिरोही को चुना। मालगांव को भी उन्होंने आदर्श गांव बनाया और वहां पर सभी आधारभूत सुविधाओं का निर्माण करवाया। रेवदर उपखंड कार्यालय पर 5 करोड की लागत से मॉडल डिग्री कॉलेज मातुश्री शांताबा हजारीमल के पी संघवी राजकीय महाविद्यालय रेवदर का निर्माण करवा कर 31 अगस्त 2020 को सरकार को सुपुर्द किया। पिछले 70 वर्षो से उपेक्षित एवं पिछडे क्षेत्र रेवदर में उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी जो अब पूरी हो गई है। सिरोही जिला मुख्यालय पर विधि महाविद्यालय का स्वतंत्र भवन नहीं होने उसकी मान्यता बार कॉन्सिल ऑफ इण्डिया की ओर से समाप्त होने वाली थी इसको देखते हुए के पी संघवी परिवार ने पहल करते हुए के पी संघवी चेरीटेबल ट्रस्ट के माध्यम से जिला मुख्यालय पर 7 करोड़ की लागत से ‘मां अम्बे के पी संघवी राजकीय विधि महाविद्यालय’ भवन बनाकर सरकार को सुर्पुद किया। यह कॉलेज नए भवन में शिफ्ट होते ही डिग्री कॉलेज से एलएलएम कॉलेज में कमोन्नत हो गया। इस कॉलेज में वर्तमान में 350 से अधिक विधार्थी विधि शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
के पी संघवी चेरीटेबल ट्रस्ट पावापुरी चिकित्सा, शिक्षा, पर्यावरण एवं जीवदया के अलावा हर आपदा मे प्रभावित लोगो की मदद के लिए हमेशा आगे आता रहा है और कोराना आपदा में भी ट्रस्ट ने स्वेच्छा से कुल 1 करोड 46 लाख 42 हजार 500 रुपए का उल्लेखनीय योगदान किया है। ट्रस्ट के चेयरमेन संघवी किशोर भाई ने पी एम केयर्स में एक करोड़ 8 लाख का योगदान कर सिरोही जिले को गौरान्वित किया। जिला अस्पताल सिरोही मे पावापुरी ट्रस्ट ने 5 लाख 51 हजार लागत का एक वेंटीलेटर भी कोराना काल में जनहितार्थ भेंट किया। इसी तरह रोहिडा आदिवासी क्षेत्र मे जरूरतमंदों को तैयार भोजन उपलब्ध करवाने के लिए रोहिडा सेवा समिति को 1 लाख 31 हजार रुपए भिजवाए। इसके अलावा अपने स्तर पर हजारों मास्क तैयार करवा कर जरूरतमंदों को वितरित करवाए थे।
पावापुरी गौशाला का नाम मालगांव मे विराजित सुमतिनाथ भगवान के नाम पर ‘‘सुमती जीव रक्षा केन्द्र’’ रखा है जिसमे कुल 195 शेड हैं इस गौशाला में एक डॉक्टर व 6 कम्पांडर हैं व आपरेशन थियेटर भी हैं। गौशाला संचालन मे प्रतिदिन लगभग 3 लाख का खर्चा होता है। जिसके लिए के पी संघवी परिवार 3 से 4 करोड रुपए का योगदान अपनी ओर से प्रतिवर्ष अर्पण करता है। पावापुरी मे घास का स्टॉक रखने के लिए 5000 टन की क्षमता कें गोदाम है। इन गोदामों के उपर सोलर की प्लेटे लगाकर 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। जोधपुर संभाग मे यह पहली गोशाला है जिसमे 5000 टन घास का स्टाक रखा जाता है और इतनी बडी तादाद मे सोलर उर्जा प्राप्त की जाती है।
18 आवास के लिए 120 कमरे व 8 बडे हाल है। इनकी बुकिंग देशभर के लोग आनलाईन करवा सकते है। यहां पर प्रवेश, भोजन एवं आवास मे जाति-धर्म का कोई बंधन नहीं हैं। अब यहां अधिकतम दो दिन रहने का अवसर दिया जा रहा हैं। गौशाला की विश्वसनियता का आंकलन इस बात से होता है कि चेन्नई की एक सुश्राविका श्रीमती सुगनी बाई किशनलाल बरमेचा ने पावापुरी गौशाला का भ्रमण करने के बाद पेढी मे पहुंच कर वहा पर एक करोड़ का चैक गौशाला के लिए जीवदया कोष में दिया।
इस तीर्थ का संचालन संघवी हंजारीमल एवं बाबू काका के बाद अब संघवी किशोर भाई हंजारीमलजी बाफना कर रहे हैं। संघवी परिवार एक अनुकरणीय संयुक्त परिवार हैं जिसके कुल 13 सदस्य तीर्थ व गौशाला के संस्थापक ट्रस्टी है उनमे पुरा काम विभागवार बंटा हुआ है ओर हर ट्रस्टी अपने विभाग के कार्यो की देखरेख व निर्णय करता है। इन सभी संस्थापक ट्रस्टियों को वर्ष मे ट्रस्ट के संचालन मे कम से कम 5 बार पावापुरी की विजिट करना अनिवार्य हैं। 5 विजिट नहीं होने पर उनको 5-5 लाख पेनल्टी के रूप मे गोशाला में जमा कराने होते हैं। लेकिन अभी तक सभी संस्थापक ट्रस्टी लगातार आने से किसी तरह की पेनल्टी का अवसर नही आया हैं। इस तीर्थ मे जो राशि देवद्रव्य (भंडार या चढावे) मे प्राप्त होती है। उसका उपयोग यहां पर नही करके अन्य मंदिरो के जीर्णोद्वार मे उपयोग के लिए दिया जाता है।
पावापुरी परिसर के पीछे राज्य सरकार ने खेतो मे रहने वाले किसानो के बच्चो को शिक्षा से जोडऩे के लिए प्राथमिक विद्यालय खोला है। इस विधालय को जिले का ‘‘मॉडल प्राथमिक विद्यालय’’ बनाने के लिए के पी संघवी परिवार विशेष लगाव के साथ जुड़ा है ओर वो सब सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है जो नीजि विधालयो मे उपलब्ध होती हैं। यहां पर पोष्टिक मिड-डे-मिल, झूलेे, खेल खिलौने, बाग बगीचे, शौचालय, अंग्रेजी शिक्षण की विशेष व्यवस्था, ड्रेस, स्वेटर, जूते, छतरी, पीने के पानी की बोतल, आर ओ पानी इत्यादि उपलब्ध करवाया जा रहा हैं। यह जिले का पहला सरकारी विधालय होगा जहां पर हर बच्चे का ‘जन्म दिन’ मनाया जाता हैं ओर सबको मिठाई खिलाई जाती हैं। के पी संघवी परिवार की हार्दिक इच्छा है कि उनकी मातृ भूमि ’’ मालगांव ’’ में भी एक अत्याधुनिक हायर सैकण्डरी स्कूल भवन बनाकर सरकार को सुर्पुद किया जाए। इसके लिए सरकार ने 10 बीघा भूमि आंवटित कर दी हैं और भवन का प्रस्ताव स्वीकृति के लिए सरकार में प्रक्रियाधीन हैं। पावापुरी तीर्थ-जीव मैत्रीधाम की ओर से सामाजिक सरोकार के तहत अनेक प्रकार की सहायता समय समय पर की जाती है। अभी हाल ही मे मालगांव सैकेंडरी में कम्पयूटर भेंट किए गए एवं गुलाबगंज हायर सैकण्डरी स्कुल मे एक सभा भवन बनाने मे साढे चार लाख रुपए का योगदान दिया। पशु ुचिकित्सालय कृष्णगंज व पुलिस चौकी कृष्णगंज व पुलिस थाना अनादरा में भी कम्प्यूटर, प्रिण्टर्स एवं अन्य सामग्री उपलब्ध करवाई गई।
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